हरियाणा मंडप में हरियाणवी कला व संस्कृति के रंगों से सराबोर हुई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

हरियाणा मंडप में हरियाणवी कला व संस्कृति के रंगों से सराबोर हुई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

हरियाणा के खान-पान को देखकर अभिभूत हुई राष्ट्रपति
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को ब्रह्मसरोवर स्थित हरियाणा कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग व हरियाणा कला परिषद के हरियाणा मंडप का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने सबसे पहले रॉयल पराठा जंक्शन का निरीक्षण किया। यहां उन्होंने विश्व के सबसे बड़े पराठे को देखा और देसी घी की जलेबी का स्वाद भी लिया। इसके पश्चात उन्होंने कुरुक्षेत्र के मशहूर शीशपाल हलवाई की रबड़ी जलेबी की भी सराहना की। गोहाना के मशहूर जलेबी को देखकर महामहिम राष्ट्रपति ने भूरी-भूरी प्रशंसा की। इसके पश्चात राष्ट्रपति ने हरियाणा मंडप में हरियाणा के ग्रामीण हस्तशिल्प कला का नमूना शहतूत की बनाई गई पुरानी टोकरी देखी। इसके पश्चात उन्होंने हिसार के मास्टर विजेंदर सिंह द्वारा पहली सदी से लेकर अब तक जारी किए गए सभी सिक्के जिनमें भारतीय रियासतों के सिक्के, स्टैंप, कोडी शामिल है उनकी जानकारी ली।
राष्टï्रपति ने हिसार की सुमित्रा द्वारा बनाए गए लकड़ी के मनकों को देखा। सुमित्रा हिसार में सेल्फ हेल्प ग्रुप चलाती है और बड़ी संख्या में महिलाएं इनके साथ जुडक़र कार्य करती हैं। इसके साथ ही कुरुक्षेत्र के अमरजीत पासवान द्वारा बनाई गई लकड़ी की हस्तशिल्प कृतियों का निरीक्षण भी महामहिम द्वारा किया गया। कुरुक्षेत्र के राजवीर द्वारा बनाई गई आर्टिफिशियल ज्वेलरी भी पंडाल की शोभा बढ़ाती देखी। कैथल के प्रवीण कुमार द्वारा बनाए गए पीढे, चारपाई भी महामहिम राष्ट्रपति द्वारा पंडाल में देखे गए। कुरुक्षेत्र के वकील लोहार ने पंडाल में घर में प्राचीन समय में प्रयोग होने वाले लोहे के अलग-अलग सामान की प्रदर्शनी लगाई। पंडाल में हरियाणवी कल्चर को भी पूरी तरह से प्रदर्शित किया गया जिसमें भेड़- बकरियों का बाड़ा, कुम्हार, ग्रामीण हरियाणा, ट्रैक्टर, बैलगाड़ी व कुएं से पानी लेकर आती महिलाएं भी दर्शाई गई। पंडाल में हरियाणा कला परिषद द्वारा हरियाणवी संस्कृति को दर्शाने के लिए अलग-अलग पंडाल सजाए गए है।
इस दौरान हरियाणवी कलाकार महावीर गुड्डू भी अपनी मंडली के साथ हरियाणवी संस्कृति का समा बांधते नजर आए। राघवेंद्र मलिक द्वारा पंडाल में हरियाणवी पैतृक संपत्ति पर प्रदर्शनी लगाई गई है। इसमें प्राचीन काल से अब तक हरियाणा के घरों में प्रयोग होने वाली वस्तुओं को दर्शाया गया है। जिसमें हरियाणा का रहन-सहन, पहनावा, खेत, संगीत से लेकर प्रत्येक दिन प्रतिदिन काम आने वाली वस्तुओं को दर्शाया गया है। हरियाणवी पगड़ी की शान पूरे मेले के दौरान बरकरार रही। पंडाल में हरियाणवी लोक संगीत के अलग-अलग रंग भी देखने को मिले इनमें जिसमें बीन पार्टी, बंचारी पार्टी, कच्ची घोड़ी के साथ-साथ हरियाणवी महिलाओं द्वारा समय-समय पर गाए जाने वाले गीत भी प्रस्तुत किए गए।

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