बांसुरी की धुन, मृदंग की थाप पर थिरक कर लोक कलाकारों ने की भगवान श्री कृष्ण की वंदना

बांसुरी की धुन, मृदंग की थाप पर थिरक कर लोक कलाकारों ने की भगवान श्री कृष्ण की वंदना

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में बनाए गए हरियाणा मंडप के सांस्कृतिक मंच पर रविवार को मणिपुर के लोक कलाकारों ने मणिपुरी रास प्रस्तुति में बांसुरी की धून तथा मृदंग की थाप पर थिरक कर भगवान श्री कृष्ण की वंदना की, जैसे ही उनकी प्रस्तुति मंच पर चल रही थी मंडप में भारी भीड़ उमड़ कर आई और सभी ने इस प्रस्तुति में अपने आप को सम्मोहित करके तालियां बजाकर भगवान  श्री कृष्ण के चरणों में वंदन किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में चंडीगढ़ से आए डॉ. कमलेश ने चाकर राखो जी, श्याम मैने चाकर राखो जी आदि भजन गाकर दर्शकों में भक्ति रस का संचार करने का कार्य किया। अलग-अलग प्रांतों में भगवान श्री कृष्ण की अपने ढंग से पूजा-अर्चना की जाती है, उसी का सम्माहित रूप हरियाणा मंडप के सांस्कृतिक मंच पर नजर आया, जहां पर मणिपुर, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र आदि के कलाकारों ने अपने अपने राज्य के लोक नृत्य के माध्यम से जहां भगवान श्री कृष्ण की वंदना की वहीं दर्शकों को भी झूमने पर मजबूर कर दिया। भगवान श्री कृष्ण जो कि 16 कला संपूर्ण है, उनकी विभिन्न लीलाओं का संजीव मंचन किया, जिसका दर्शकों ने भरपूर आंनद लिया। मध्य प्रदेश से आए कलाकारों ने लोक नृत्य के माध्यम से बाल-गोपाल, सखा-संग, लीला दर्शकों के समक्ष रखी।
अपनी प्रस्तुति में कलाकारों ने 3 मंजिला मानव पिरामिड बनाकर दर्शकों को खूब रोमांचित किया। जैसे ही भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप सबसे ऊपर दर्शाया गया उसे देखकर दर्शकों ने जोरदार तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया। कार्यक्रम में रोमांच उस समय और अधिक बढ़ गया जब उड़ीसा से आए छोटे-छोटे कलाकारों ने गोटीपुआ नृत्य के माध्यम से अनेक मुद्राएं मंच पर बनाई जिसे देखकर दर्शक दांतो तले उंगली दबाने पर मजबूर हो गए। पंजाब से आए कलाकारों ने ढोल की थाप पर शमी की प्रस्तुति दी जिस पर सभी दर्शक झूमने पर मजबूर हो गए । रविवार को पर्यटकों का हुजूम हरियाणा मंडप में पहुंचा जहां उन्होंने हरियाणवी संस्कृति के दर्शन किए वहीं लोक कलाओं से भी आकर्षित हुए।

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