Bannganga, Dayalpur

Bannganga, Dayalpur

बाण गंगा नामक यह तीर्थ ब्रह्म सरोवर से लगभग 4 कि.मी. दूर दयालपुर नामक ग्राम मंे स्थित है। इस तीर्थ के विषय में अनेक जनश्रुतियाँ प्रचलित हैं जिनमें से एक के अनुसार महाभारत युद्ध के चैदहवंे दिन जयद्रथ को मारने से पूर्व अर्जुन ने इस स्थान पर पर्जन्यास्त्र से बाण मारकर जलधारा प्रकट की थी। इस जलधारा के निकले जल से भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के रथ के थके हुए घोड़ों को नहलाया था जिस कारण इस तीर्थ का नाम बाण गंगा पड़ा।
दूसरी जनश्रुति के अनुसार इसी स्थान पर महादानी कर्ण ने ब्राह्मण वेशधारी श्रीकृष्ण को मरने से पूर्व अपना स्वर्ण मंडित दाँत जलधारा के जल से धो कर भेंट किया था।
तीर्थ में वर्तमान में एक उत्तर मध्यकालीन बावड़ीनुमा सरोवर है। इसी तीर्थ सरोवर में ईंटों से बनी धनुषाकृति है। मन्दिर के परिसर में लाखौरी ईंटांे से निर्मित एक समाधि है। तीर्थ परिसर में ही माता बाला सुन्दरी का एक आधुनिक मंदिर भी स्थित है। यह तीर्थ कुरुक्षेत्र की अष्टकोशी परिक्रमा मार्ग पर पड़ने वाले तीर्थो में से एक प्रमुख तीर्थ है। कुरुक्षेत्र की अष्टकोशी परिक्रमा नाभिकमल तीर्थ से प्रारम्भ होकर कार्तिक मंदिर, स्थाण्वीश्वर मंदिर, माँ भद्रकाली मंदिर, कुबेर तीर्थ, सरस्वती खेड़ी, रन्तुक यक्ष पिपली, शिव मन्दिर पलवल से होकर यहाँ पहुँचती है। यहाँ से भीष्म कुण्ड नरकातारी से होकर अंत में नाभिकमल मंदिर में सम्पन्न होती है।

LOCATION

Quick Navigation