International Gita Mahotsav

 

INTERNATIONAL GITA MAHOTSAV

Kurukshetra, Haryana (15 November to 5 December 2025)

Som Tirth, Sansa

यह तीर्थ कुरुक्षेत्र से लगभग 25 कि.मी. की दूरी पर सैंसा नामक ग्राम में स्थित है जिसे पुराणों में सोम तीर्थ के रूप में वर्णित किया गया है। इस तीर्थ का वर्णन महाभारत, वामन पुराण, ब्रह्म पुराण एवं पद्म पुराण में उपलब्ध होता है। वामन पुराण में इस तीर्थ को सोम (चन्द्र) देव से सम्बन्धित बताया गया है। दक्ष प्रजापति के श्रापवश एक बार सोमदेव भयंकर राज्यक्षमा से पीड़ित हो गए थे। तत्पश्चात् देवताओं के आग्रह पर दक्ष प्रजापति के आदेशानुसार सोम ने इस स्थान पर उग्र एवं कठोर तप द्वारा स्वयं को उस भीषण व्याधि से मुक्त कर लिया था:
ततो गच्छेत् विप्रेन्द्राः सोमतीर्थमनुत्तमम्।
यत्र सोमस्त्पस्तप्त्वा व्याधिमुक्तः अभवत् पुरा।
तत्र सोमेश्वरं दृष्ट्वा स्नात्वा तीर्थवरे शुभे।
राजसूयस्य यज्ञस्य फलं प्राप्नोति मानव:।
व्याधिभिश्च विनिर्मुक्तः सर्वदोषविवर्जित:।
सोमलोकमवाप्नोति तत्रैव रमते चिरम्।
(वामन पुराण 34/33-35)
अर्थात् जिस स्थान पर सोम देव तप करके व्याधि मुक्त हुए ऐसे उस श्रेष्ठ सोमतीर्थ में स्नान कर एवं वहाँ स्थित सोमेश्वर का दर्शन करने पर मनुष्य राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त करता है तथा समस्त रोग, शोक व दोष से मुक्त हो सोमलोक को प्राप्त कर चिरकाल तक वहां आनन्दपूर्वक निवास करता है।
यह प्राचीन तीर्थ सरस्वती नदी के तट पर स्थित है। तीर्थ के आस-पास के क्षेत्र से उत्तर हड़प्पा काल से लेकर मध्य काल तक की संस्कृतियों के अवशेष मिलें है जो कि इस तीर्थ की प्राचीनता को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं।

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