Arunai Tirth, Urnai

Arunai Tirth, Urnai


अरुणाय नामक यह तीर्थ कुरुक्षेत्र से लगभग 28 कि.मी. तथा पिहोवा से लगभग 6 कि.मी. की दूरी पर अरुणाय नामक ग्राम में स्थित है।
इस तीर्थ की उत्पत्ति की कथा ऋषि विश्वामित्र एवं वशिष्ठ से जुड़ी है। महाभारत एवं वामन पुराण के अनुसार सरस्वती के तट पर ही महर्षि वशिष्ठ एवं विश्वामित्र के आश्रम थे। विश्वामित्र के मन में वशिष्ठ के प्रति द्वेष भाव था। एक बार ऋषि विश्वामित्र ने वशिष्ठ की हत्या की योजना बनाकर सरस्वती से कहा कि तुम वशिष्ठ को बहाकर मेरे आश्रम में ले आओ। भयभीत हुई सरस्वती ने विश्वामित्र की यह योजना महर्षि वशिष्ठ को बताई। उदारचित्त एवं करुणार्द्र महर्षि वशिष्ठ सरस्वती को विश्वामित्र के शाप से बचाने के लिए स्वयं सरस्वती के साथ बहते हुए ऋषि विश्वामित्र के आश्रम में पहँुचे। वहाँ पहुँचते ही जब विश्वामित्र वशिष्ठ को मारने हेतु शस्त्र लेने गये उसी समय ब्रह्महत्या के डर से भयभीत सरस्वती वशिष्ठ को पूर्व दिशा की ओर बहा कर ले गई। सरस्वती के इस आचरण से क्रोधित हुए विश्वामित्र ने सरस्वती को शाप दिया कि अब से वह राक्षसों के प्रिय रक्तयुक्त जल को प्रवाहित करेगी। ऋषि के शाप के कारण सरस्वती में रक्तिम जल बहने लगा।
एक बार तीर्थयात्रा पर निकले ऋषि मुनियों का समूह सरस्वती के तट पर पहुँचा। सरस्वती की दुर्दशा को देखकर व उसका कारण जानकर उसके निराकरण हेतु मुनियों ने महादेव का स्मरण करके सरस्वती को शापमुक्त किया। सरस्वती के जल को पवित्र हुआ देख राक्षसों ने मुनियों से अपने भोजन के विषय में प्रार्थना की। ऋषियों ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार कर उनकी समस्या का समाधान किया। तीर्थ को शुद्ध करने के पश्चात् ऋषिगण राक्षसों की मुक्ति के लिए पवित्र अरुणा नदी को वहाँ लाए तथा वहाँ सरस्वती और अरुणा नदी के संगम की स्थापना की। तभी से यह तीर्थ सरस्वती-अरुणा संगम के नाम से विख्यात हुआ।
अरुणायाः सरस्वत्याः संगमे लोकविश्रुते।
त्रिरात्रोपोषितः स्नातो मुक्ष्यते सर्वकिल्विषैः।
प्राप्ते कलियुगे घोरे अधर्मे प्रत्युपस्थिते।
अरुणासंगमे स्नात्वा मुक्तिमवाप्नोति मानवः।।
(वामन पुराण, 40/41-42)
अर्थात् लोक प्रसिद्ध अरुणा व सरस्वती के संगम में तीन रात्रि संयमपूर्वक निवास करने वाला व स्नान करने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। घोर कलियुग में तथा पाप बढ़ जाने पर मनुष्य अरुणा के संगम में स्नान करके मुक्ति प्राप्त कर लेता है।
वर्तमान में इस तीर्थ में एक भव्य शिव मंदिर स्थापित है। मंदिर परिसर में ही अनेक अन्य मंदिर तीर्थ की शोभा बढ़ाते हैं। इस तीर्थ पर शिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन होता है जिसमें दूर-दराज से भक्तगण यहाँ आकर अपनी मनोकामनांए पूर्ण करते हैं।

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