हरियाणवी सांगों में हरियाणा की लोक संस्कृति बसती है। यह हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है। पूर्णचंद शर्मा लिखित पुस्तक हरियाणवी सांग एक परिशीलन हरियाणवी लोक संस्कृति का लिखित दस्तावेज है। यह टिप्पणी हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान आयोजित एक संगोष्ठी और पुस्तक विमोचन के दौरान अपने अध्यक्षीय संबोधन में की। विचार गोष्ठी का आयोजन हरियाणा ग्रंथ अकादमी एवं पूर्व छात्र परिषद विद्या भारती के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था जिसका विषय था हरियाणवी सांग परंपरा एवं गीता का ज्ञान। डॉ. वीरेन्द्र सिंह चौहान ने कहा कि 15 अगस्त 1947 को जब हमने फिरंगियों को यूनियन जैक उतार कर आधी रात को तिरंगी पताका को फहरा दिया, उसी समय से अपनी जड़ों से जुडऩे का क्रम शुरू हो जाना चाहिए था। स्वदेशी चीजों को नए सिरे से सजा कर प्रस्तुत किया जाना चाहिए था, लेकिन स्वतंत्रता के बाद जो सत्ता के सूत्रधार बने उन्हें भारतीयता से ही परहेज था। खुद को एक्सीडेंटल हिंदू बताने वाले पंडित नेहरू करते भी तो कैसे भारतीयता की बात कैसे करेगा। उन्होंने कहा कि गीता जयंती महोत्सव भारतीय परंपरा का ही महोत्सव है। भगवत गीता को वैश्विक पटल पर ले जाने का संकल्प लिया गया था। यह पर्व विश्व के अलग-अलग स्थानों पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रयासों से शुरू हुआ है। सरकार ने गीता को गांव-गांव और घर-घर में ले जाने की योजना तैयार की है।