सूफी गायक बिक्रम सिरोहीवाल ने ब्रहमसरोवर की फिजा को किया कृष्णमय

सूफी गायक बिक्रम सिरोहीवाल ने ब्रहमसरोवर की फिजा को किया कृष्णमय

अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव 2021 के अवसर पर पुरूषोत्तमपुरा बाग में प्रसिद्ध सूफी गायक बिक्रम सिरोहीवाल ने सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण के चरणों में शीश झुकाकर अकीदत के फूल भेंट करके कार्यक्रम का आगाज किया। इस भक्ति वंदना में क्या मथुरा, क्या वृदांवन, क्या गोकुल तेरा धाम मन के कुरूक्षेत्र में कर्म गति का काम का गुणगान किया। इस प्रस्तुति के दौरान सारा वातावरण कृष्णमय हो गया और संकीर्तन में डूबे हुए श्रोतागण झूम उठे। सर्वप्रथम सूफियाना अंदाज में भक्तिभाव से ओत-प्रोत कृष्ण भजन श्रृंखला में पहला भजन फुलों में सज रहे है, श्री वृंदावन बिहारी से करते हुए बिक्रम सिरोहीवाल ने गुरु शिष्य परंपरा का अनुसरण किया। भगवान श्रीकृष्ण के महिमामंडन में चार चांद लगा दिए, इसके बाद उन्होंने प्रसिद्घ अध्यात्मिक तरंगों से लबरेज भजन सांसों की माला पर सिमरु मैं पी का नाम, मीराबाई के प्रसिद्घ भजन से संपूर्ण वातावरण गुंजयामान हो गया। मधुर तालों व तानों में नई बंदिशों का प्रयोग हमेशा बिक्रम का प्रयास रहा है और इसी कड़ी में उसने जब मुझे रास आ गया है तेरे दर पर सर झुकाना, कृष्ण भजन श्रोताओं इतना भाया कि वे कृष्णभक्ति के रस में भाव-विभोर होकर रह-रह कर तालियां बजाते रहे और नृत्य कर झूमने लगे। भजन संध्या का रोचक प्रसंग यह रहा कि जब अंत में बिक्रम सिरोहीवाल ने भाव-विभोर करने वाला प्रसिद्घ भजन अरे द्वार पालों, कन्हैया से कह दो, दर पर सुदामा गरीब आ गया है गाया तो धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की पवित्र धरा पर कृष्ण भक्ति भाव को मानों एक नया भाव मिला, जो कुरुक्षेत्र, मथुरा, गोकुल, वृंदावन, बरसाना को जोड़ता चला गया और कर्मभूमि भक्ति भूमि हो गई। उल्लेखनीय है कि जाने-माने सूफी गायक बिक्रम सिरोहीवाल पटियाला घराने के उस्ताद कीमती लाल के शिष्य है, जिन्होंने गुरु-शिष्य परम्परा का अनुसरण करते हुए शास्त्री संगीत गायन और सूफी गायकी में तालीम हासिल की। हाल ही में एक पंजाबी फिल्म ईश्क-माई रिलीजन में खलनायक की भूमिका अदा की। उन्होने लालसा और ललक केवल सूफी गायकी को अपने जीवन का मुख्य ध्येय बनाया है और उसे देश-विदेश तक विस्तारित करना है और लोगों का मनोरंजन करना है। अर्सा 10 साल में बिक्रम ने अपनी पहचान सूफी गायकी में ना केवल हरियाणा में बल्कि देश में भी खास पहचान बनाई है। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने महाआरती के बाद सुफी गायक बिक्रम सिरोहीवाल को स्मृति चिन्ह व अंग वस्त तथा कॉफीटेबल बुक भेंट कर सम्मानित किया।

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