Sarpadhi Tirth, Safidon

Sarpadhi Tirth, Safidon

सर्पदधि नामक यह तीर्थ जींद-सफीदों मार्ग पर जींद से लगभग 35 कि.मी. की दूरी पर सफीदों नगर में स्थित है।
इस तीर्थ का उल्लेख महाभारत में सर्पदेवी तथा वामन पुराण में सर्पदधि नाम से मिलता है। महाभारत वन पर्व में इस तीर्थ का महात्म्य इस प्रकार वर्णित है:
सर्पदेवीं समासाद्य नागानां तीर्थंमुत्तमम्।
अग्निष्टोममवाप्नोति नागलोकं च विन्दति।।
(महाभारत, वन पर्व 83/13)
अर्थात् नागतीर्थों में उत्तम सर्पदेवी नामक तीर्थ का सेवन करने पर मनुष्य अग्निष्टोम का फल प्राप्त करता है तथा नागलोक का अधिकारी बनता है।

वामन पुराण में इस तीर्थ के महत्त्व में इस प्रकार से लिखा है :
सर्पिदधिं समासाद्य नागानां तीर्थंमुत्तमम् ।
तत्र स्नानं नरः कृत्वा मुक्तो नागभयाद् भवेत्।।
(वामन पुराण 34/23)
अर्थात् नागों के श्रेष्ठ तीर्थ सर्पदधि में जा कर वहां स्नान करने वाला मनुष्य नागभय से मुक्त हो जाता है।
प्रचलित परम्परा के अनुसार यहां पर सर्पों को घी और दही का दान किया जाता है। लौकिक कथाआंे के अनुसार इसी तीर्थ पर सर्पदमन यज्ञ के लिए आए हुए ब्राह्मणों एवं ऋषियों के निवास की व्यवस्था की गई थी। वर्तमान में यह तीर्थ हंसराज तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है।

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