किसी अनजान व्यक्ति के प्राणों की रक्षा के लिए रक्तदान करने के लिए हमेशा रहे तत्पर:ज्ञानानंद

किसी अनजान व्यक्ति के प्राणों की रक्षा के लिए रक्तदान करने के लिए हमेशा रहे तत्पर:ज्ञानानंद

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने जीओ गीता युवा चेतना की तरफ से आयोजित रक्तदान शिविर का किया शुभारंभ, रक्तदाताओं को बैच लगाकर किया सम्मानितकुरुक्षेत्र 13 दिसंबर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि किसी अनजान व्यक्ति के प्राणों की रक्षा के लिए प्रत्येक नागरिक को हमेशा तत्पर रहना चाहिए। इस प्रकार रक्तदान करने से किसी दूसरे परिवार को भी नया जीवन दिया जा सकता है। यह रक्तदान मानवता की सबसे बड़ी सेवा समझी जाती है। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद सोमवार को गीता जयंती साप्ताहिक कार्यक्र्रमों की श्रृंखला में जीओ गीता युवा चेतना मंच की तरफ से गीता ज्ञान संस्थानम में आयोजित रक्तदान शिविर के शुभारंभ अवसर पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इससे पहले गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने जीओ गीता युवा चेतना की तरफ से आयोजित रक्तदान शिविर का विधिवत रुप से शुभारंभ किया और इस रक्तदान शिविर में एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सकों की टीम ने सहयोग किया और शिविर में 61 यूनिट रक्त एकत्रित हुआ। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव को लेकर केडीबी की तरफ से 2 दिसंबर से कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है और गीता ज्ञान संस्थानम में भी हर वर्ष की भांति इस वर्ष गीता जयंती पर साप्ताहिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। इन्ही कार्यक्रमों की कड़ी में गीता ज्ञान संस्थानम में जीओ गीता युवा चेतना की तरफ से रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि मानवता सेवाओं के लिए सभी को कार्य करते रहना चाहिए। इस मानवता सेवा में रक्तदान सर्वोपरी है, किसी के प्राणों की रक्षा रक्तदान के माध्यम से की जा सकती है। इसलिए रक्तदान एक अनुकरणीय कार्य है। यह कहा भी जाता है कि जीओ और जीने दो। इसलिए रक्तदान से किसी दूसरे व्यक्ति को नया जीवन दे सकते है। रक्तदान करने से आत्म संतुष्ठिï होती है। अब तो चिकित्सा और वैज्ञानिकों ने भी स्पष्टï कहा है कि रक्तदान करने से शरीर में किसी प्रकार की कमी नहीं आती, अपितु रक्तदान करने से शारीरिक और मानसिक संतुष्ठिï मिलती है।

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