ब्रह्म सरोवर के पावन तट पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में सांस्कृतिक विविधता और कला का बेहतरीन प्रदर्शन किया जा रहा है। इस महोत्सव के दौरान हरियाणा के साथ साथ दूसरे प्रदेशों से आए कलाकार और शिल्पकार अपनी कला और संस्कृति को स्थाननीय लोगों तक पहुंचा रहे हैं। इसी बीच देहरादून से आई गीता शर्मा कढ़ाई के काम का आकर्षक नमूना पेश कर रही हैं।
बातचीत के दौरान गीता ने बताया कि वह पिछले 20 साल से एंब्रायडरी का काम कर रही हैं और अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में वह तीसरी बार आई हैं। वह मूल रूप से जोधपुर, राजस्थान से हैं। इस काम को शुरू करने से पहले वह 10 वर्ष तक मीडिया क्षेत्र में कार्य कर चुकी हैं, जिसके बाद उन्हें लगा कि उन्हें राजस्थान से जुड़ी इस कला को आगे लेकर जाना चाहिए और तब से वह इसी कार्य में जुटी हुई हैं। उन्होंने बताया कि पहले उन्होंने राजस्थान में कारखाना शुरू किया था पर वहां पर उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जिसके बाद उन्होंने देहरादून में काम शुरू किया। अब गीता वहां के गांवों की महिलाओं से जुडक़र काम कर रही हैं, जो कि कढ़ाई का काम करती हैं। पैच चिपकाने का काम, जिसको छपाई कहते हैं वह कार्य कुछ पुरुषो से करवाया जाता है।
गीता ने बताया कि पैच चिपकाने का काम आम तौर पर पुरुष करते हैं और यही माना जाता है कि महिलाएं यह काम नहीं कर सकती। लेकिन उन्होंने ने सभी को गलत साबित करते हुए ये काम भी खुद करना शुरू किया। उन्होंने बताया कि इस कला में सिलाई के अलावा सभी काम हाथ से किया जाता है और विभिन्न प्रकार के कपड़े उपयोग में लाए जाते हैं। वह उत्तराखंड में ही इस कला के कारीगर तैयार करने के प्रयास कर रही हैं क्योंकि अभी उन्हें कुछ कारीगर राजस्थान से बुलाने पड़ते हैं। उनका कहना है की आने वाले समय में वह उत्तराखंड में ही ऐसे कारीगर तैयार कर देंगी की उन्हें कही और जाने की आवश्यकता ही नही होगी। वर्तमान समय में गीता अपने उत्पादों को थोक में बेच रही है। मुख्य तौर पर उनके आर्टवर्क राजस्थान भेजे जाते हैं। उन्होंने बताया कि वह अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन खरीददारी के माध्यमों के साथ जुड़ कर अपने कार्य को दूर-दूर तक भेजने के लिए भी प्रयास कर रही हैं। उनके स्टॉल पर वॉल पेंटिंग्स, कुशंस, मूढ़े,तोरण, मैट्स इत्यादि उपलब्ध है। इनके स्टॉल पर बैग्स केवल 100 से शुरू हो जाते हैं और सबसे मूल्यवान आर्टपीस 38 हजार रूपए का है।