International Gita Mahotsav

Panchanad / Hatakeshwar Tirth, Haat

पंचनद/हटकेश्वर नामक यह तीर्थ जीन्द से लगभग 33 कि.मी. दूर हाट ग्राम में स्थित है। इस तीर्थ के नाम एवं महत्त्व का वर्णन महाभारत तथा वामन पुराण दोनों में ही उपलब्ध होता है। जनश्रुति के अनुसार इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण के परामर्श अनुसार अर्जुन ने गाण्डीव धनुष की नोक से कौरव महारथी अश्वत्थामा के सिर से मणि निकाल कर उसे मणिविहीन कर दिया था। इस मन्दिर में अश्वत्थामा की मूर्ति की पूजा की जाती है। महाभारत के वनपर्व में तीर्थ का नाम एवं महत्त्व इस प्रकार वर्णित है –
अथ पंचनदं ंगत्वा नियतो नियताशनः।
पंचयज्ञानवाप्नोति क्रमशो येऽनुकीर्तिताः।
(महाभारत, वन पर्व 82/83)
अर्थात्, हे राजेन्द्र! पंचनद नामक तीर्थ में स्नान करने वाला व्यक्ति पंचमहायज्ञों का फल प्राप्त करता है।
पौराणिक काल में यह तीर्थ रुद्र, वामन तथा हर के साथ जुड़ जाने से अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया। वामन पुराण में इस तीर्थ की उत्पत्ति के विषय में कहा गया है कि दानवों को भयभीत करने के उद्देश्य से रुद्र ने पांच नदों का निर्माण किया।
पंचनदाश्च रुद्रेण कृताः दानव भीषणाः।
तत्र सर्वेषु लोकेषु तीर्थं पंचनदं स्मृतम्।।
(वामन पुराण)

वामन पुराण के अनुसार यहां पर रुद्र स्वयं कोटितीर्थों को समाहृत्य करके विद्यमान हैं, अतः यह तीर्थ कोटितीर्थ भी कहलाता है।
इस तीर्थ के मुख्य मन्दिर में अश्वत्थामा की प्रतिमा है। अन्य दो मन्दिर राधा-कृष्ण एवं शिव के हैं जिनके बरामदे की उत्तरी दीवार पर 9-10वीं सदी की बलुआ पत्थर से निर्मित विष्णु की एक प्रतिमा स्थापित है जिसके एक ओर ब्रह्मा व दूसरी ओर उमा-महेश्वर की प्रतिमाएँ विराजमान हैं। खुदाई में अनेक प्राचीन मूर्तियों के मिलने से भी इस तीर्थ की प्राचीनता सिद्ध होती है। यहाँ प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के आखिरी रविवार को मेला लगता है। जनश्रुति के अनुसार हाट के इस पवित्र सरोवर में पृथ्वी के 68 तीर्थों की कान्ति एवं शक्ति निहित है।

LOCATION

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top