जम्बूनद नामक यह तीर्थ करनाल से लगभग 38 कि.मी. दूर करनाल-असन्ध मार्ग पर स्थित जबाला ग्राम में स्थित है। पौराणिक साहित्य में सम्पूर्ण पृथ्वी को सात द्वीपों में विभक्त होने से ‘सप्तद्वीप पृथ्वी’ अथवा सप्तद्वीपवसुमती के नाम से उल्लिखित किया गया है। ये सात प्रमुख द्वीप जम्बू, प्लाक्ष, शाल्मलि, कुश, क्रौंच, शक एवं पुष्कर हंै। जम्बू नामक द्वीप सभी द्वीपों के मध्य में स्थित है।
महाभारत एवं पुराणों में जम्बूमार्ग तीर्थ का उल्लेख आता है। सम्भवतः यही जम्बूमार्ग तीर्थ कालान्तर में जम्बूनद नाम से प्रसिद्ध हुआ होगा। महाभारत में इस तीर्थ का महत्त्व इस प्रकार वर्णित है।
जम्बूमार्गं समाविश्य देवर्षिपितृसेवितम् ।
अश्वमेधमवाप्नोति सर्वकामसमन्वित: ।।
तत्रोष्य रजनीः पंचपूतात्मा जायते नरः ।
न दुर्गतिमवाप्नोति सिद्धिं प्राप्नोति चोत्तमाम्।।
(महाभारत, वन पर्व 82/41-42)
अर्थात् देवताओं, ऋर्षियों एवं पितरों द्वारा सेवित जम्बूूमार्ग नामक तीर्थ में जाने पर मनुष्य अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त करता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जो मनुष्य उक्त तीर्थं में पाँच रात्रियों तक निवास करता है वह विशुद्धात्मा होकर श्रेष्ठ सिद्धियों को प्राप्त करता है।
महाभारत के अतिरिक्त इस तीर्थ का महत्त्व अग्नि पुराण, वायु पुराण तथा कूर्म पुराण में भी वर्णित है। अग्नि पुराण और कूर्म पुराण में इसका उल्लेख जम्बूकेश्वर नाम से है जहाँ व्यास देव ने भी इस तीर्थ को उत्तम मान कर इसका सेवन किया था।