Jaraasandh Ka Tila, Asandh

Jaraasandh Ka Tila, Asandh


जरासन्ध का टीला कहा जाने वाला यह पुरातात्त्विक स्थल असंध शहर में करनाल से लगभग 43 कि.मी. दूर स्थित है। असंध नगर को प्राचीन साहित्य में असंधिवात भी कहा गया है। कहा जाता है कि असंधिवात नामक नगर पाण्डवों की दूसरी राजधानी थी। राजा परीक्षित के पुत्र महाराजा जनमेजय के समय असंधिवात एक धन-धान्य पूर्ण नगर था।
असंध स्थित जरासंध का टीला कहा जाने वाला यह पुरातात्त्विक स्थल वास्तव में एक विशाल बौद्ध स्तूप का निचला भाग है जिसके निर्माण में कुषाण कालीन ईंटांे का प्रयोग हुआ है। अपने स्थापना काल में यह विशाल स्तूप बौद्ध धर्मावलम्बियों की श्रद्धा का केन्द्र रहा होगा। सम्भवतः इस स्तूप का निर्माण भगवान बुद्ध की कुरुक्षेत्र यात्रा के पश्चात् किया गया होगा। यह स्तूप हरियाणा से प्राप्त प्रमुख स्तूपों में से एक है। भगवान बुद्ध की कुरुक्षेत्र यात्रा के पश्चात् तथा कुरु देश के निवासियों को बौद्ध धर्म में दीक्षित करने के पश्चात् ही हरियाणा में स्तूपों एवं बौद्ध विहारांे का निर्माण हुआ जिनका उल्लेख ह्वेनसांग ने भी अपने यात्रा विवरणों में दिया है।

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