
उत्सव का रंग तब और बढ़ जाता है, जब खुशियाँ खुद नाचने लगती हैं। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की गलियों में युवाओं का यह स्वतःस्फूर्त नृत्य उत्साह, ऊर्जा और दोस्ती की उस भावना को दर्शाता है, जो किसी भी उत्सव को यादगार बना देती है। विभिन्न संस्कृतियों के लोग एक साथ झूमते हुए यह साबित करते हैं कि गीत, नृत्य और मुस्कान हर दिल को जोड़ने की शक्ति रखते हैं। जहाँ आनंद है, वहाँ सीमा नहीं—सिर्फ एकता और उमंग!