पुराने तार जलते देखकर मन में आई पर्यावरण बचाने की जिज्ञासा, सूरजकुंड मेले में उनकी कला को मिली पहचान को गीता महोत्सव कर रहा है आगे बढ़ाने का काम
पुरानी कबाड़ की चीजों और तारों से पेंटिंग बनाकर जहां पर्यावरण संरक्षण की पहल की जा रही हैं वहीं इन पेंटिंग से कलाकार उदित नारायण बैंसला कुरुक्षेत्र में आयोजित गीता महोत्सव में अपनी इस अनूठी कला से सब को आकर्षित कर रहे हैं। उदित नारायण बैंसला ब्रह्मसरोवर के पश्चिमी सरोवर पर 698 नंबर स्टाल पर पुराने तारों से पेंटिंग बनाने में मशगूल रहते है।
उदित नारायण ने बताया कि वर्ष 2017 में उन्होंने एक स्थान पर किसी व्यक्ति को पुराने तारों को जलाते हुए देखा और उससे उठते धुए और होने वाले पर्यावरण के नुकसान से उनके मन में एक टीस उठी। ये जो तार जलाए जा रहे हैं ये पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं इसका अंदाजा किसी को नहीं है। इसी टीस को उन्होंने इस बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया और बतौर टेक्सटाइल डिजाईनर उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया और उनके मन में ख्याल आया कि इन तारों से पेंटिंग बनाई जा सकती है।
उन्होंने बताया कि उन्हें वर्ष 2018 में फरीदाबाद के सूरजकुंड मेले में पहचान मिलनी शुरु हुई। उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा कला निधि पुरस्कार द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। यह कला अपने आप में अनूठी है। वे घर व बाहर की कटी-फटी तारों, पुराने चाजर्रों इत्यादि से पेंटिंग बनाते है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इंडिया गेट पर आयोजित हुनर हाट में उनका चित्र बनाकर उन्हें भेंट किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके लिए उनको शाबासी भी दी थी। उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई केंद्रीय और राज्य मंत्रियों को भी अपने हाथ से बनाई हुए पेंटिंग भेंट की है।
उदित नारायण ने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य इन पेंटिंग के माध्यम से लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करना है। वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाना भी है। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री मनोहर के समक्ष इस कला को बढ़ावा देने के लिए कोई परियोजना तैयार करवाने का अनुरोध भी करेंगे। उन्होंने कहा कि वे कुरुक्षेत्र में खराब सामग्री व टूटी फूटी चीजों से गीता का संदेश तैयार करना चाहते हैं इसके लिए भी वे प्रदेश सरकार से अनुरोध करेंगे।