संसार के करतार का अपार नाम होता है, अखियां हरि दर्शन की प्यासी

संसार के करतार का अपार नाम होता है, अखियां हरि दर्शन की प्यासी

हरियाणा मंडप के सांस्कृतिक मंच पर कला व विविध संस्कृति से रूबरू हुए दर्शक, हरियाणा मंडप में विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों ने बिखेरे लोक संस्कृति के रंग
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हरियाणा मंडप के सांस्कृतिक मंच पर जहां एक ओर भजन गायक डॉ. मनजीत कौर ने विभिन्न संगीत व लयबद्व बंदिशों से भगवान कृष्ण की अराधना के साथ दर्शकों को जोडऩे का कार्य किया, वहीं विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों ने अपने अपने राज्यों की कला व संस्कृति से दर्शकों को रूबरू करवाया। कार्यक्रम का शुभारंभ हरियाणा कला परिषद के निदेशक डॉ. संजय भसीन, सरदार जरनैल सिंह ने दीपशिखा प्रज्जवलित करके किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ भजन गायक डॉ. मनजीत कौर ने राग भैरवी की बंदिश, बांसुरी की मधूर स्वर लहरियों से सजी रचना तुम आ जाना भगवान से शुरू की। इस प्रस्तुति में जब बांसुरी के स्वर पुरूषोतमपुरा बाग के वातावरण में गूंजे तो दर्शक बांसूरी की बजैईया भगवान कृष्ण की भक्ति में भावविभोर नजर आए। अगली प्रस्तुति राग यमन में थी जिसमें संसार के करतार का अपार नाम होता है,इसी प्रकार अंखिया हरि दर्शन की प्यासी गाकर भजन गायक ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। उन्होंने मेरे मन वीणा के तार गाकर भी भगवान की अराधना की। इसी प्रकार कार्यक्रम में विभिन्न प्रदेशों से आए लोक कलाकारों ने अपने अपने प्रदेश की संस्कृति से ओतप्रोत प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को अपने अपने राज्य की वेशभूषा व लोक कला से रूबरू करवाया। त्रिपुरा के कलाकारों ने किसानों द्वारा फसल पकने पर उनके राज्य में किया जाने वाला नृत्य होजागिरी नृत्यावली पेश की और इसी प्रकार लददाख के कलाकारों ने विवाह समारोह में किया जाने वाला बालटी किया।
छतीसगढ के कलाकारों ने गुरू की महिमा का बखान करने वाले नृत्य पनधी की प्रस्तुति दी। इस नृत्य में लोक कलाकारों ने नृत्य करते हुए विभिन्न मानव पिरामिड बनाए, जिससे दर्शक दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर हो गए। उड़ीसा के कलाकारों ने संबलपुरी तथा आन्ध्र प्रदेश के कलाकारों ने पोरजा जनजाति का नृत्य पेश किया। लोक कलाकारों में पश्चिम बंगाल से आए कलाकारों ने भगवान शिव के नृत्य का स्वरूप नटराज का समिश्रण नटवा नृत्य करके शिव महिमा का बखान किया। उतर प्रदेश से आए कलाकारों ने जैसे ही मयूर नृत्य की प्रस्तुति दी सभी दर्शकों ने उनके साथ झूमकर उनका अभिवादन किया। इस नृत्य में भगवान कृष्ण के मयूर बनने की पूरी गाथा का चित्रण कलाकारों ने किया। इसी प्रकार छतीसगढ के कलाकारों ने पणधी,गुजरात के कलाकारों ने लोक नृत्य राठवा पेश करके दर्शकों को आन्नदित किया।
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बुजुर्ग दम्पति भी लोक कलाकारों के साथ किए गए नृत्य के लम्हों को कर रहे हैं अपने मोबाइल में कैद
अन्तर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव में भारी भीड़ उमड़ रही है, जहां एक ओर बच्चे व युवा सरोवर पथ पर कलाकारों द्वारा दी गई प्रस्तुतियों में शामिल हो रहे हैं वहीं उम्र का लम्बा सफर तय करके बुजुर्ग दम्पति भी पहुंच रहे हैं। बुधवार को ब्रह्मïसरोवर के तट पर जींद से आए सांरगी वादक अपने लोक कलाकारों के साथ गोपीचन्द, भरतरी का किस्सा गा रहे थे, उसी समय स्थानीय निवासी राजेन्द्र भारद्वाज उनके साथ झूमने लगे इस लम्हे को देखते हुए उनकी धर्मपत्नी सुदेश शर्मा ने तुरन्त मोबाइल फोन निकालकर इस लम्हेंं को अपने मोबाइल में कैद किया। इसीलिए तो कहते हैं कि वर्तमान परिवेश में बुजुर्ग भी युवाओं से कम नहीं।

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