International Gita Mahotsav

INTERNATIONAL GITA MAHOTSAV

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असम पैवेलियन में मुखौटों से लोगो को असम की संस्कृति से रूबरू करवा रहे सुजित बड़ूआ

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 में ब्रह्म सरोवर का पावन तट अनेक प्रदेशों की कला और संस्कृति से सुसज्जित है। असम सरकार और हरियाणा सरकार के संयुक्त प्रयास से असम पैवेलियन बनाया गया है जहां पर असम की कला, संस्कृति और खानपान को स्थानीय लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। ऐसे ही असम की प्राचीन लोक कला, मास्क आर्ट को कुरुक्षेत्र में प्रदर्शित कर रहे हैं सुजित बड़ूआ।

असम के शिक्षागढ़ जिले से आए सुजित बड़ूआ ने बातचीत के दौरान बताया कि असम की यह लोक कला 15वीं सदी में महापुरुष श्रीमंत संकरदेव द्वारा आरंभ की गई थीं और यह उनका पुश्तैनी काम है। लगभग 600 साल पुरानी इस कला में पौराणिक कथाएं जैसे रामायण,महाभारत पुराणों इत्यादि और खास तौर पर रामायण से जुड़े पात्रों के मुखौटे बनाए जाते हैं। उस समय इन पात्रों को दर्शाना कठिन था इसलिए यह मुखौटे बनाने शुरू किए गए थे। इस मुखौटे में सबसे पहले बांस का ढांचा तैयार किया जाता है जिसके बाद मिट्टी और गोबर के मिश्रण को सूती कपड़े के साथ मिलाकर मुखौटे को आकार दिया जाता है। इसके बाद इसे सुखाकर इस पर रंगों से पात्र का चेहरा बनाया जाता है। पुराने समय में रंग प्राकृतिक तत्वों से के प्रयोग से बनाए जाते थे लेकिन आज के समय में इस प्रक्रिया से रंग बनाने में 6 महीने तक का समय लगता है। इसलिए इन मुखोटों पर बाजार में मिलने वाले सामान्य रंग इस्तेमाल किए जाते हैं। इस कला में प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग करके मुखौटे तैयार किए जाते हैं।

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