कुरुक्षेत्र 22 दिसंबर धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में हो रहे ब्रह्मसरोवर के तट पर अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में राजा महाराजाओं की भूमि राजस्थान की संस्कृति की झलक देखी जा रही है। गीता महोत्सव में लोग राजस्थान की दाल बाटी, चूरमा और राजस्थान की राज कचोरी, केसरिया दूध आदि स्वादिष्ट पकवानों का स्वाद चखने महोत्सव में दूर दूर से आ रहे है। इसके अलावा राजस्थान का लोक नृत्य कच्ची घोड़ी लोगों में अलग ही उत्साह उत्पन्न कर रहा है। पर्यटक कलाकारों के साथ झूम रहे है तथा उनकी कला के बारे में जानने के लिए उत्सुक है।
राजस्थान से आए कलाकार ने बताया कि यह नृत्य वह पुरानी संस्कृति को जीवित रखने के लिए करते है। यह नृत्य राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। यह राजस्थान से साथ साथ भारत के अन्य भागों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात आदि में भी प्रसिद्ध है। इसमें नर्तक नकली घोड़ी पर सवारी करते है। उन्होंने बताया कि जब वह नृत्य करते है तो वह इस नृत्य के साथ वह भगवान के साथ संपर्क करने की कोशिश करते है। इसका प्रदर्शन सामाजिक एवं व्यसायिक दोनों तरह से होता है। यह नृत्य दूल्हा पक्ष के बारातियों के मनोरंजन करने के लिए व अन्य खुशी अवसरों पर भी प्रदर्शित किया जाता है।