

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव इस वर्ष पारंपरिक शिल्पकला को नई पहचान देने के साथ-साथ शिल्पकारों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रहा है। मिट्टी से बने बर्तनों के स्टॉल पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। कुरुक्षेत्र के पिपली गांव के शिल्पकार शिवचरण ने स्टॉल नंबर 680 पर सुंदर मिट्टी के बर्तनों की प्रदर्शनी लगाई है, जहां आने वाले लोग न केवल इन उत्पादों को खरीद रहे हैं, बल्कि इनके स्वास्थ्य लाभों को समझकर प्रभावित भी हो रहे हैं। शिवचरण बताते हैं कि अब मिट्टी के बर्तनों को केवल एक शिल्प नहीं, बल्कि एक स्वस्थ जीवनशैली के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। घड़े का पानी प्राकृतिक रूप से ठंडा रहता है और सेहत के लिए भी लाभदायक है। वे महोत्सव में बिजली के चाक पर लाइव डेमो देकर पर्यटकों को मिट्टी के बर्तन बनाने की प्रक्रिया भी दिखा रहे हैं। पुश्तैनी काम को आधुनिकता से जोड़ते हुए उन्होंने मिट्टी के मुखौटे, तुलसी गमले, रिंग बेल फ्लावर पॉट और वॉटर बॉल जैसे नए डिज़ाइन तैयार किए हैं। पारंपरिक कला को आधुनिक रूप देकर बाजार में स्थापित करने का उनका यह प्रयास गीता महोत्सव में खूब सराहना बटोर रहा है।