

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की पावन रात जब ब्रह्मसरोवर पर आरती के साथ पुष्पवर्षा होती है, तो ऐसा लगता है मानो आकाश भी आस्था में झुककर प्रसाद दे रहा हो। झिलमिलाती रोशनियाँ, गूंजती मंत्रध्वनि और हवा में उड़ते फूल—यह दृश्य हृदय को भक्ति और आनंद से भर देता है। संध्या के समय अग्नि की लौ आकाश को छूती है और जलधारा भक्ति में झूम उठती है, तब ब्रह्मसरोवर में आरती का यह दिव्य स्वरूप मन को शांति, शक्ति और सद्गुणों से परिपूर्ण कर देता है। यह केवल दृश्य नहीं, बल्कि आस्था की वास्तविक अनुभूति है।*