



अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 की संध्या आज दिव्यता और प्रकाश से पूरी तरह आलोकित हो उठी, जब ब्रह्मसरोवर पर भव्य महाआरती का आयोजन किया गया। पारंपरिक पगड़ी में सुशोभित मुख्य अतिथि द्वारा पवित्र ज्योति प्रज्वलित करते ही वातावरण भक्ति, शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। अग्नि की उठती लौ के साथ जब संगीतात्मक फव्वारों की जलधाराएँ और चारों ओर सजी रंगीन रोशनियाँ एक साथ झिलमिलाईं, तो पूरा सरोवर मानो दिव्य लोक में परिवर्तित हो उठा। मंदिर परिसर की सुनहरी आभा जल में प्रतिबिंबित होकर ऐसा दृश्य रच रही थी, जैसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण अपनी पवित्र धरती को आशीर्वाद दे रहे हों। मंत्रोच्चार, भजन और श्रद्धा की रसधारा में डूबे भक्तों ने इस पावन क्षण को न सिर्फ महसूस किया, बल्कि गीता के संदेश—धर्म, कर्तव्य और सद्भाव—को जीवन में अपनाने का संकल्प भी लिया। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की यह महाआरती भारतीय संस्कृति की उस शाश्वत परंपरा का जीवंत प्रतीक है, जो पूरे विश्व को—शांति, सद्भाव और आध्यात्मिक प्रकाश का संदेश देती है।