


अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की रौनक में सजी ये मुस्कानें अपने भीतर लोक संस्कृति की चमक और श्रद्धा की लाली समेटे हुए पूरे वातावरण को आध्यात्मिक सौंदर्य से भर देती हैं। रंग-बिरंगे परिधानों, सुर-लय से भरे लोक नृत्यों और आस्था से ओत-प्रोत पलों ने ऐसा दृश्य रचा, जहाँ संस्कृति और श्रद्धा एक ही मंच पर खिल उठीं। महोत्सव का हर क्षण मानो यह संदेश दे रहा था कि भारतीय परंपराएँ केवल मन को सजाती नहीं, बल्कि आत्मा को भी आलोकित करती हैं।