



ब्रह्मसरोवर के पवित्र तट पर स्थापित श्रीमद्भगवद् गीता की यह दिव्य झांकी एक साधारण कलात्मक प्रस्तुति नहीं, बल्कि आध्यात्मिक चेतना को स्पर्श करने वाला अद्भुत अनुभव है। सूर्यास्त की स्वर्णिम किरणें जब सरोवर के जल पर पड़ती हैं, तो मानो पूरा परिसर भगवान श्रीकृष्ण की divine presence से आलोकित हो उठता है। अर्जुन को धर्म, कर्तव्य और सत्य के मार्ग पर ले जाने वाली गीता की अमर वाणी इस झांकी में ऐसे जीवंत प्रतीत होती है जैसे महाभारत का युद्धक्षेत्र स्वयं कुरुक्षेत्र में पुनः साकार हो रहा हो। चारों ओर गूंजती शंखध्वनि, मंत्रोच्चारण और भक्तिमय संगीत वातावरण को और भी पवित्र बना देते हैं, जिससे श्रद्धालु अपने भीतर एक अदृश्य शक्ति, एक आंतरिक शांति का अनुभव करते हैं।
यह झांकी न केवल भारत की प्राचीन आध्यात्मिक परंपराओं का प्रतीक है, बल्कि विश्व को शांति, सद्भाव और मानवता का संदेश देने वाली एक प्रेरणादायी झलक भी है। गीता में वर्णित निष्काम कर्म, आत्म-ज्ञान और धर्म के मार्ग पर चलने की सीख इस झांकी के माध्यम से हर दर्शक के हृदय तक गहराई से पहुँचती है। गीता महोत्सव 2025 का यह दृश्य उन सभी लोगों के लिए एक अमूल्य स्मृति बन जाता है, जो जीवन में आध्यात्मिकता, संस्कृति और सद्गुणों की महत्ता को समझना चाहते हैं। दिव्यता, भक्ति और ज्ञान का ऐसा अद्भुत संगम शायद ही कहीं और देखने को मिले—यही इस झांकी की वास्तविक भव्यता और आकर्षण है।