


कुरुक्षेत्र की पवित्र धरती पर आज विविध भारतीय संस्कृतियों की रंगारंग प्रस्तुतियों ने हर किसी का मन मोह लिया। लद्दाखी परिधानों की शान, पंजाब की लोकधुनों का जोश, ढोल कलाकारों की ऊर्जा, मुखौटा नृत्य की रचनात्मकता और दर्शकों की खुशी—हर एक पल ने इस महोत्सव को अविस्मरणीय बना दिया। मुस्कुराहटों से भरे चेहरे, एकता का संदेश और भारतीय कला की जीवंत झलक—यही है अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव, जहाँ भारत की आत्मा अपने पूर्ण वैभव में दिखाई देती है।