अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर पर्यटकों को विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति और नृत्य रूपों का अनोखा अनुभव हो रहा है। कलाकार अपनी पारंपरिक वेशभूषा में अपनी कला को जीवित रखकर दर्शकों के बीच इसे प्रस्तुत कर रहे हैं। उत्तराखंड के छपेली, पंजाब के गटका, हिमाचल प्रदेश के गद्दी नाटी, राजस्थान के बहरुपिए, पंजाब के बाजीगर, राजस्थान के लहंगा/मंगनीयार और दिल्ली के भवई नृत्य जैसी पारंपरिक नृत्य महोत्सव में शानदार प्रस्तुतियां दे रहे हैं। इन कलाकारों का मानना है कि आज के आधुनिक युग में भी अपनी कला को संरक्षित करना और उसे विदेशों तक पहुँचाना ज़रूरी है। महोत्सव में आने वाले पर्यटक इस शानदार कला के लम्हों को अपने मोबाइल में कैद कर रहे हैं और लोक संस्कृति का आनंद ले रहे हैं।
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