त्रिपुरारि नामक यह तीर्थ कुरुक्षेत्र से लगभग 13 कि.मी. तिगरी खालसा नामक ग्राम में स्थित है। इस तीर्थ का सम्बन्ध भगवान शिव से है।
पौराणिक कथा के अनुसार देवताओं द्वारा तारकासुर को मारने के बाद उसके पुत्रों वारकाक्ष, कमलाक्ष, विद्युतमाली (तारकाक्ष) ने अपने कठोर तप से ब्रह्मा को अपने समक्ष प्रकट होने को विवश किया। उन्हांेने ब्रह्म से वरदान माँगा कि वह तीनांे अलग-अलग नगरों में रहें तथा त्रिलोक में स्वन्छन्द भ्रमण करते रहें। प्रत्येक हजार वर्ष बीत जाने पर तीनों अपने नगरों के साथ एक स्थान पर इकट्ठे हो जाएं तथा मिलने के पश्चात् उसी क्रम को दोहराएं। हमारी मृत्यु ऐसे समय पर आए जब हम तीनों एक साथ हो तथा हमारी मृत्यु एक ही बाण से हो। ब्रह्मा ने उनके माँगे हुए सारे वरों को पूरा किया।
ब्रह्मा से वरदान प्राप्त करने के पश्चात् तीनांे भाई मय दानव के पास पहुँचे। मय ने उनके लिए सोने, चाँदी और लोहे के तीन नगर बनाए। इन नगरांे पर नियंत्रण रखने का दायित्व बाणासुर को दिया गया। ये तीनों नगर त्रिपुर कहलाते थे। त्रिपुरों के निर्माण के पश्चात् भी असुर बड़ी संख्या में नष्ट होते रहे। इस पर ब्रह्मा ने उनके लिए अमृत से भरी एक वापी बनवाई जिसमें मरे हुए असुर को डुबाने से वह पुनः जीवित हो उठता था।
इससे असुरों का भयानक और उग्र रूप देवों को पीड़ित करने लगा। तब सभी देवों द्वारा प्रार्थना करने पर भगवान शिव ने एक ही बाण से इन असुरों के तीनांे नगरों को नष्ट कर दिया। इसीलिए भगवान शिव का नाम त्रिपुरारि पड़ा। इस घटना का सम्बन्ध जनश्रुतियाँ कुरुक्षेत्र भूमि स्थित इस त्रिपुरारि तीर्थ से जोड़ती हंै। यहाँ शिव पूजन से आशुतोष भगवान शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।\