श्रीतीथ नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 18 कि.मी. दूर कैथल-जींद मार्ग पर कसान नामक ग्राम में स्थित है। कसान नामक ग्राम में स्थित इस तीर्थ के नाम से ही प्रतीत होता है कि यह तीर्थ मनुष्य को श्री लक्ष्मी, वैभव, ऐश्वर्य, धन-सम्पदा प्रदान करने वाला है। इस तीर्थ का वर्णन महाभारत, वामन पुराण तथा ब्रह्म पुराण में मिलता है। महाभारत में इस तीर्थ का महत्त्व इस प्रकार वर्णित है:
श्रीतीर्थं च समासाद्य स्नात्वा नियतमानसः।
अर्चयित्वा पितृन्देवान्विन्दते श्रियमुत्तमाम्।
(महाभारत, वन पर्व 83/46)
अर्थात् श्री तीर्थ में पहुँच कर एवं इस तीर्थ में संयमी हृदय से स्नान करके देवताओं एवं पितरों की अर्चना करने वाला मनुष्य अतुल श्री एवं वैभव को प्राप्त करता है।
ब्रह्म पुराण के 25 वंे अध्याय में जहाँ सकल तीर्थों के महात्म्य का वर्णन है वहीं पर सम्पूर्ण तीर्थों के अन्तर्गत श्री तीर्थ का नामोल्लेख भी मिलता है।
विद्याधरं सगान्धर्वं श्रीतीर्थं ब्रह्मणो हृदम्।
(ब्रह्म पुराण 25/23)
नारद पुराण में ऐसा उल्लेख है कि जो मनुष्य श्री तीर्थ में स्नान करके श्री हरि का पूजन करता है वह प्रतिदिन भगवान को अपनी समीप विद्यमान पाता है।
यहाँ तीर्थ परिसर स्थित मन्दिर की भित्तियों पर बने भित्ति चित्रों में दूध बिलोती यशोदा के साथ कृष्ण, हाथी-घोड़े पर सवार योद्धाओं तथा पशु-पक्षियों का भी चित्रण है।