अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान पंजाब के झूमर नृत्य ने महोत्सव में एक अलग ही आकर्षण पैदा किया। इस पारंपरिक नृत्य की लयबद्धता और सजीवता ने न केवल महोत्सव के माहौल को जीवंत किया, बल्कि देशभर से आए दर्शकों को भी अपने रंग में रंग लिया। झूमर नृत्य के प्रत्येक कदम में पंजाब की सांस्कृतिक धरोहर और जीवंत परंपरा की एक झलक देखने को मिली।
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी इस नृत्य के प्रति अपनी सराहना व्यक्त की थी और इसे देखकर वह पूरी तरह से कायल हो गए थे। उनका मानना था कि इस तरह के पारंपरिक नृत्य भारतीय संस्कृति की ताकत और विविधता को दर्शाते हैं। महोत्सव में झूमर नृत्य की प्रस्तुति ने यह सिद्ध कर दिया कि संस्कृति और कला किसी भी देश के विकास और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।