अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पारंपरिक नृत्य की झलकियाँ दर्शकों को भारतीय कला और संस्कृति की गहराई में ले गईं। विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों से आए कलाकारों ने अपनी नृत्य शैलियों के माध्यम से भारतीय लोक कला, परंपराओं और सांस्कृतिक विविधता को जीवित किया।
भरतनाट्यम, कथक जैसी शास्त्रीय और लोक नृत्य शैलियाँ दर्शकों के दिलों को छू गईं। इन नृत्य प्रस्तुतियों ने हर भाव, हर ताल और हर कदम के साथ भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को एक नई रोशनी में प्रस्तुत किया।
इन नृत्यों ने न केवल भारतीय कला का सम्मान किया, बल्कि सांस्कृतिक एकता और विविधता को भी दर्शाया। महोत्सव में इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भारतीय संस्कृति के समृद्ध इतिहास से जोड़ने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान किया।
पारंपरिक नृत्य की इन झलकियों ने महोत्सव को एक अविस्मरणीय अनुभव बना दिया।