International Gita Mahotsav

Kukrithyanashan Tirth, Kakaut

कुकृत्यनाशन नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 10 कि.मी. दूर कैथल-करनाल मार्ग के पहुँचायक मार्ग पर काकौत नामक ग्राम के उत्तर-पूर्व में स्थित है।
इस तीर्थ के नाम से ही इसका अर्थ व महत्त्व स्पष्ट हो जाता है कि कुकृत्य अर्थात् बुरे एवं पाप कर्मों का विनाश करने वाला जो तीर्थ है वही कुकृत्यनाशन तीर्थ के नाम से विख्यात हुआ।
जनसाधारण में प्रचलित किंवदन्तियाँ इस तीर्थ का सम्बन्ध महाभारत काल से जोड़ती हैं जिसका सम्बंध पाण्डवों की माता कुन्ती से बताया जाता है। इस तीर्थ का कुछ ऐसा प्रभाव रहा है कि यहाँ अनेक ऋषि-मुनियों ने तपस्या करके इसे और अधिक पवित्र बनाया। सम्भवतः उन सब के तपोबल के कारण ही यह तीर्थ प्राणियों द्वारा किए जाने वाले दुष्कर्मों का विनाश करने में समर्थ हो सका। जनसाधारण में प्रचलित जनश्रुति के अनुसार तो यहाँ अनेक जीव भी तपस्या रत रहते हैं जिससे इस तीर्थ का प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है।
इस तीर्थ में चैत्र मास की सप्तमी तथा आश्विन माह की अष्टमी को विशाल मेला लगता है। प्रचलित विश्वास के अनुसार इस दिन इस तीर्थ का दर्शन करने से श्रद्धालुओं की सम्पूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होती हंै।

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