कोटि नामक यह तीर्थ भी ज्येष्ठाश्रम के समीप ही बोड़श्याम गांव में स्थित है। इस तीर्थ का सम्बन्ध भगवान शिव से है ।
वामन पुराण में इस तीर्थ का महत्त्व इस प्रकार वर्णित है
तत्रैव कोटितीर्थं च त्रिषुलोकेषु विश्रुतम्।
तस्मिन् तीर्थे नरः स्नात्वा कोटियज्ञफलं लभेत्।।
कोटिश्वरं नरो दृष्ट्वा तस्मिन् तीर्थे महेश्वरम्।
महादेव प्रसादेन गाणपत्यमवाप्नुयात्।।
(वामन पुराण, 36/72-73)
अर्थात इस तीर्थ में स्नान करने वाला मनुष्य कोटि यज्ञों के फल को प्राप्त करता है। तीर्थसेवी साधक कोटीश्वर महादेव के दर्शन करके गणनायक की उपाधि प्राप्त करता हैै।