अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पुरुषोत्तमपुरा बाग में बनाए गए सांस्कृतिक पंडाल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। भजनों एवं गीतों के माध्यम से बाहर से आने वाले पर्यटकों का जहां भरपूर मनोरंजन किया जा रहा है, वहीं पर्यटक प्राचीन संस्कृति से भी रूबरू हो रहे हैं। प्रसिद्घ भजन गायक कशिश मित्तल ने सैमी क्लासिकल, धार्मिक गीतों भजनों के द्वारा श्रोताओं का मन मोह लिया। उन्होंने श्रीमद भगवत गीता के शोक यदा यदा ही धर्मस्य, ग्लानि भवति भारत्य के द्वारा अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की। कलाकार कशिश मित्तल ने धार्मिक गीत ब्रिज वसंतम,नवनीत चरम तथा श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ वासुदेवा आदि भजनों के द्वारा वातावरण को धार्मिक कर दिया। इनके गीतों भजनों का दर्शकों द्वारा भरपूर आनंद लिया गया और तालियों के साथ श्रोताओं ने उनका उत्साहवर्धन किया। उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए भजनों में श्रीमद्भागवत गीता तथा हमारी प्राचीन संस्कृति की झलक साफ दिखाई दे रही थी।