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Gandharva Tirth, Gauharan Khedi

गन्धर्व नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 21 कि.मी. दूर ग्राम गोहरां खेड़ी में स्थित है। इस तीर्थ का वर्णन महाभारत और पद्मपुराण में मिलता है। गन्धर्वों से सम्बन्धित होने के कारण ही इसे गन्धर्व तीर्थ कहा गया है। शल्य पर्व में उल्लेख है कि यहाँ हलधर बलराम ने स्नान करके ब्राह्मणों को बहुत सा धन स्वर्ण और रजत दान करके सन्तुष्ट किया था।
गन्धर्वाणांततस्तीर्थमागच्छद्रोहिणीसुतः।
विश्वावसुमुखस्तत्रगंधर्वास्तपसान्विताः।।
नृत्यवादित्रगीतं च कुर्वन्ति सुमनोरमम्।
तत्र गत्वा हलधरो विप्रेभ्यो विविधं वसु।।
अजाविकंगोखरोष्ट्रमं सुवर्णं रजतं तथा।
प्रययौसहिताविप्रै: स्तूयमानश्च माधवः।।
भोजयित्वा द्विजान् कामैः संतप्र्य च महाधनैः।
तस्माद् गन्धर्व तीर्थच्च महाबाहुररिंदमः।।
(महाभारत, शल्य पर्व 37/10-13)
इससे स्पष्ट है कि यह सरस्वती तटवर्ती एक प्राचीन तीर्थ था जहाँ विश्वावसु आदि अनेक गन्धर्व नृत्य आदि का आयोजन करते थे। भगवान कृष्ण के अग्रज बलराम जी ने इस तीर्थ के महत्त्व को समझते हुए ही इस तीर्थ की यात्रा की थी। आज भी यहाँ श्रावण मास की अष्टमी को मेला लगता है।

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