दशरथ/राघवेन्द्र तीर्थ/सूर्य कुण्ड कहा जाने वाला यह तीर्थ करनाल से लगभग 20 कि.मी. दूर औंगद ग्राम में स्थित है। इस तीर्थ के विषय में जनसाधारण में ऐसी मान्यता पाई जाती है कि इस तीर्थ का निर्माण अयोध्या के महाराजा दशरथ ने करवाया था। इसी कारण इस तीर्थ को दशरथ तीर्थ के नाम से जाना जाता है।
अयोध्या के महाराजा दशरथ के कौशल्या, सुमित्रा एवं कैकेयी नाम की तीन रानियाँ थी। निःसन्तान होने के दुख को एक बार महाराज दशरथ ने अपने कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ के सामने व्यक्त किया जिनके परामर्श से उन्होनें सुयोग्य सन्तान प्राप्ति के लिए यज्ञ किया। परिणामस्वरूप महाराजा दशरथ ने श्रीराम, लक्ष्मण, भरत एवं शत्रुघ्न जैसे चार सर्वश्रेष्ठ पुत्ररत्न प्राप्त किये। जिस समय महाराजा दशरथ श्री राम का राज्याभिषेक करने ही वाले थे उसी समय कैकेयी ने अपने पुत्र भरत को राज्याभिषेक एवं श्री राम को चैदह वर्ष का वनवास- ये दो वर माँग कर महाराज दशरथ को धर्मसंकट में डाल दिया। महाराजा दशरथ यद्यपि ऐसा करने के इच्छुक न थे लकिन श्रीराम ने अपनी दृढ़ पितृभक्ति का परिचय देते हुए सहर्ष वनवास को प्रस्थान किया। श्रीराम के प्रस्थान करते ही महाराजा दशरथ ने पुत्र-वियोग में प्राण त्याग दिये। औंगद ग्राम में स्थित यह तीर्थ महाराजा दशरथ से सम्बन्धित है जिसे राघवेन्द्र तीर्थ तथा सूर्य कुण्ड के नाम से भी जाना जाता है।
इस तीर्थ पर सूर्य ग्रहण तथा चन्द्र ग्रहण के समय मेला लगता है। श्रद्धालुगण इन अवसरों पर यहाँ आकर स्नान करते हैं। तीर्थ सरोवर मन्दिर के उत्तर में स्थित है। सरोवर पर एक अष्टकोण बुर्जी वाला उत्तर मध्यकालीन घाट है जिसका निर्माण लाखौरी ईंटों से हुआ है।