अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में छऊ नृत्य की एक शानदार प्रस्तुति हुई, जिसने सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह नृत्य कला, जो विशेष रूप से ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के क्षेत्रीय लोकाचार का हिस्सा है, शक्ति, साहस और शौर्य का प्रतीक मानी जाती है। कलाकारों ने अपनी कठिन शारीरिक चालों और मनोहर मुद्राओं के माध्यम से भगवान श्रीराम के महान कार्यों और गीता के आदर्शों को जीवंत किया।
यह प्रदर्शन न केवल भारतीय कला का अभूतपूर्व उदाहरण था, बल्कि शास्त्रीय नृत्य की गहरी समझ और शारीरिक सटीकता को भी दर्शाता है।