शास्त्रीय नृत्य की छटा से महका गीता महोत्सव
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन तट पर जब शास्त्रीय नृत्य की सुंदर मुद्राएँ, रंगों की दिव्यता और श्रद्धा का भाव […]
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन तट पर जब शास्त्रीय नृत्य की सुंदर मुद्राएँ, रंगों की दिव्यता और श्रद्धा का भाव […]
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के रंगों में घुला भांगड़ा का जोश पूरे वातावरण को ऊर्जा और उत्साह से भर देता है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की रंगीन छटा उस समय और मोहक हो जाती है, जब लोकनृत्य के कलाकार अपने हवा में
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की धड़कन उस समय और तेज़ हो उठती है, जब ढोल की गूंज और पारंपरिक नृत्य के
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में जनजातीय संस्कृति की अनोखी छटा ने सभी का मन मोह लिया। पारंपरिक वाद्ययंत्रों की गूंज और
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की पावन भूमि पर विविध संस्कृति की मनमोहक छटा हर ओर बिखरी दिखाई देती है। जब पहाड़ी
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की पावन धरा पर जब लोकनृत्य की ताल गूंजती है, तो पूरा वातावरण उल्लास की लहरों से
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव—जहाँ मुस्कानें परंपरा की आभा में सजती हैं और लोकनृत्य की हर थिरकन संस्कृति की आत्मा को जीवंत
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की रौनक में सजी ये मुस्कानें अपने भीतर लोक संस्कृति की चमक और श्रद्धा की लाली समेटे
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के सांध्यकालीन महाआरती में ब्रह्मसरोवर, पुरुषोत्तमपुरा बाग रंगों और श्रद्धा की छटा से जगमगा उठा। हरियाणा के
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आस्था का सागर और श्रद्धा की लहरें पूरे ब्रह्मसरोवर क्षेत्र को आलोकित कर रही थीं। जन-जन
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में घूमते घाघरों की लय और मुस्कुराहटों की चमक ने दर्शकों का मन मोह लिया। विभिन्न राज्यों