खट्टी-मीठी गोलियां बनीं आकर्षण का केंद्र!
स्टॉल नंबर 12 पर बच्चों के साथ बड़े भी उठा रहे हैं खास स्वाद का लुत्फ़। कुरुक्षेत्र, 17 नवंबर।अंतर्राष्ट्रीय गीता […]
स्टॉल नंबर 12 पर बच्चों के साथ बड़े भी उठा रहे हैं खास स्वाद का लुत्फ़। कुरुक्षेत्र, 17 नवंबर।अंतर्राष्ट्रीय गीता […]
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर किनारे प्रस्तुत यह पारंपरिक लोक-संगीत न केवल दर्शकों को आनंदित कर रहा है, बल्कि लुप्त होती
हस्तशिल्प कला और कारीगरों की अनोखी प्रतिभा ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की फिज़ा को और भी रंगीन बना दिया है।
एक कलाकार पारंपरिक ‘घोड़ी’ (डमी हॉर्स) पोशाक में सजे हुए हैं, जो प्रसिद्ध कच्छी घोड़ी / भवई नृत्य का प्रतिनिधित्व
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की पावन भूमि पर लोक संस्कृति की ये रंगीन झलक—जहाँ भंगड़ा की ताल, मुस्कुराहटों की चमक और
पवित्र गीता श्लोकों से मानवता को मिला आध्यात्मिक मार्ग — ब्रह्मसरोवर में सायंकालीन महाआरती का दिव्य आयोजन अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव
भजन संध्या में अंबाला से आई सुप्रसिद्ध भजन गायिका मंजू अरोड़ा ने अपनी सुरमयी और भावपूर्ण प्रस्तुतियों से पूरे वातावरण
“अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में देसी कला और अद्भुत शारीरिक कौशल का अनोखा प्रदर्शन। धैर्य, शक्ति और संतुलन का ऐसा संगम
“रंगों में घुली मुस्कान, परंपरा में ढली पहचान— गीता महोत्सव की इस झलक में संस्कृति की असली शान।” “अंतर्राष्ट्रीय गीता
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव, कुरुक्षेत्र में सतयुग दर्शन ट्रस्ट (रजि.) द्वारा स्थापित ध्यान कक्ष स्टॉल का दृश्य। ब्रह्मसरोवर परिसर के स्टॉल
“लोक संस्कृति की सुरम्य धुनें” International Gita Mahotsav में पारंपरिक वेशभूषा में सजे लोक कलाकार अपनी सुरीली बाँसुरी और झांझ
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 में नारायण पिरामिड ध्यान केंद्र द्वारा आयोजित 15-दिवसीय ध्यान शिविर का दिव्य शुभारंभ! गंगा घाट, ब्रह्मसरोवर