हरियाणा की पुरानी बैलगाड़ी – देसी जीवन की असली पहचान
लकड़ी की खूबसूरत नक्काशी और देहाती कारीगरी से सजी यह बैलगाड़ी गाँवों के उन सुनहरे दिनों की याद दिलाती है […]
लकड़ी की खूबसूरत नक्काशी और देहाती कारीगरी से सजी यह बैलगाड़ी गाँवों के उन सुनहरे दिनों की याद दिलाती है […]
दो ग्रामीण बुजुर्ग हुक्का गुड़गुड़ाते हुए, साथ में रखा विंटेज रेडियो—ये झांकी उस दौर की याद दिलाती है जब गाँव
पालने में झूलते नन्हे बच्चे और उसके आसपास बैठी ग्रामीण महिलाएँ हरियाणा के घर-आंगन की गर्माहट और अपनापन दिखाती हैं।
घड़े पर रस्सी चलाती यह पारंपरिक ग्रामीण स्त्री हरियाणा के गाँवों की सादगी, मेहनत और लोक-जीवन की असली पहचान दिखाती
पारंपरिक पगड़ी की लाजवाब शैली और देसी अंदाज़ अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में लोगों को खूब भा रहा है। एक बार
लकड़ी कला हरियाणा की परंपरा और कारीगरी का जीवंत उदाहरण है! बारीक नक्काशी से बनी ये कलाकृतियाँ गाँवों की विरासत,
बिन्दरवाल कला हरियाणा की देसी विरासत का अद्भुत प्रतीक है! लकड़ी से बनी ये पारंपरिक बिन्दरवाल ग्रामीण जीवन, बैलगाड़ी संस्कृति
फुलझड़ी कला हरियाणा की रंग-बिरंगी पारंपरिक सजावट का अद्भुत उदाहरण है! रंगीन कागज़, धागों और हाथों की बारीक कारीगरी से
गुड़्डे–गुड़िया कला हरियाणा की लोककला का रंगीन संसार है! रंग-बिरंगे कपड़े, धागे और सृजनशीलता से बनी ये खूबसूरत गुड़िया आज
गीता महोत्सव में हरियाणा का लोक-हुनर जीवंत हो उठता है—उंखल-मूसल कला से अनाज कूटने की प्राचीन देसी तकनीक, पीढ़ा बुनाई
हरियाणा पेवेलियन में हुनर की चमक बिखरी हुई है—मूंढा बुनाई की नाज़ुक कारीगरी से लेकर लकड़ी की शानदार नक्काशी तक,
हरियाणा पेवेलियन में रंगों, संस्कृति और परंपराओं का अनोखा संगम! अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में हरियाणा की मिट्टी की खुशबू, लोककला