International Gita Mahotsav

ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर बीन की लहर और ढ़ोल की थाप ने महोत्सव के रंगों में और भी जोश भर दिया है।

जब बीन का लहरा बजता है, तो सरोवर की लहरें भी आकर्षित होकर इस अद्भुत कला से समर्पित हो जाती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 में आए लोक कलाकारों ने अपनी कला से महोत्सव में चार चांद लगाए हैं। बीन बांसुरी, नगाड़े, डेरू वादक, कच्ची घोड़ी जैसे लोक वाद्ययंत्रों की धुन पर पर्यटक थिरकते हुए इस सांस्कृतिक समागम का आनंद ले रहे हैं। 🌟

इन लोक कलाओं ने महोत्सव में एक नई पहचान बनाई है, और पर्यटकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी है। एनजैडसीसी और प्रशासन द्वारा आमंत्रित इन कलाकारों ने अपनी कला से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया है।

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