International Gita Mahotsav

Brahmodumbar Tirth, Sheelakheri

ब्रह्मोदुम्बर तीर्थ नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 8 कि.मी. दूर शीला खेड़ी ग्राम में स्थित है।
ब्रह्मोदुम्बर नामक उक्त तीर्थ का उल्लेख महाभारत एवं वामन पुराण दोनों मंे मिलता है। महाभारत के वन पर्व में इस तीर्थ का वर्णन निम्नवत है:
ततोगच्छेत् राजेन्द्र ब्रह्मणः स्थानमुत्तमम्।
ब्रह्मोदुम्बरमित्येव प्रकाशं भुविभारत।
(महाभारत, वन पर्व 83/71)
अर्थात् हे राजेन्द्र ! तत्पश्चात् ब्रह्मा जी के उत्तम स्थान को जाना चाहिए जो कि पृथ्वी पर ब्रह्मोदुम्बर के नाम से विख्यात है।
इसी तीर्थ के महात्म्य विस्तार में आगे लिखा है कि उस तीर्थ में स्थित सप्तर्षि (भारद्वाज, गौतम, जमदग्नि, कश्यप, विश्वामित्र, वशिष्ठ एवं महर्षि अत्रि) कुण्डों में स्नान करने से मनुष्य ब्रह्मा के लोक को प्राप्त करता है।
वामन पुराण में इस तीर्थ के ब्रह्मा जी द्वारा सेवित होने से ही ब्रह्मोदुम्बर की संज्ञा दी गई है। इसी पुराण के अनुसार इस तीर्थ में स्नान करने वाला मनुष्य ब्रह्मलोक को प्राप्त करता है।
वामन पुराण के काल में इस तीर्थ का महत्त्व अपने चरम शिखर पर पहुँच चुका था।
तस्मिंस्तीर्थवरे स्नातो ब्रह्मणो अव्यक्त जन्मनः।
ब्रह्मलोकमवाप्नोति नात्र कार्य विचारणा।।
देवान् पितृन् समुद्दिश्य यो विप्रं भोजयिष्यति।
पितरस्तस्य सुखिता दास्यन्ति भुवि दुर्लभम्।।
सप्तर्षिश्च समुद्दिश्य पृथक् स्नानं समाचरेत्।
ऋषीणां च प्रसादेन सप्तलोकाधिपो भवेत्।।
(वामन पुराण 36/11-13)
अर्थात् जो व्यक्ति इस तीर्थ में देवताओं एवं पितरों को ध्यान में रखते हुए ब्राह्मणों को भोजन करवाएगा उसके पितर प्रसन्न होकर उसे दुर्लभ वस्तुएं प्रदान करेंगे। सप्तर्षियों का ध्यान करते हुए जो पृथक् स्नान करेगा वह ऋषियों के प्रसाद से सात लोकों का स्वामी होगा।
सरोवर से लगते हुए टीले से प्राप्त मृद्-पात्रों से प्रतीत होता है कि यह स्थान कुषाण काल (प्रथम शती) का है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top