आज गीता ज्ञान संस्थानम् में आयोजित दिव्य सत्संग में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कुरुक्षेत्र की धरा की अद्भुत महिमा का उल्लेख किया। स्वामी जी ने कहा कि यहां भगवान श्री कृष्ण ने अपने परम भक्त अर्जुन के साथ रथ हांकते हुए, प्रेम और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। इस धरा पर भगवान ने गीता का अमृत वचन दिया, जिससे अर्जुन के मनोबल को पुनः जागृत किया और विश्व कल्याण का मार्ग दिखाया।
स्वामी जी ने यह भी कहा कि गीता का हर तत्व भगवान की लीला में छिपा हुआ है, और हर समस्या का समाधान गीता में मिलता है। स्वामी जी का सपना है कि घर-घर गीता पढ़ी जाए और प्रत्येक व्यक्ति गीता में ही जीये।
इस कार्यक्रम में निरंजनी पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर आचार्य कैलाशानंद गिरी, महंत बंसी पुरी जी, बाबा भूपेंद्र सिंह पटियाला वाले, और अन्य मान्य व्यक्तियों ने भी अपने प्रवचन दिए। इस अवसर पर गीता पूजन व आरती भी आयोजित की गई।
आइए, हम सब मिलकर गीता के संदेश को आत्मसात करें और जीवन में प्रेम, सत्य और शांति का मार्ग अपनाएं।
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