बनारस के मशहूर शिल्पकार मोहम्मद हनीफ का अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के साथ 25 वर्षों का गहरा संबंध रहा है। 1999 से लगातार इस महोत्सव का हिस्सा बने मोहम्मद हनीफ हर वर्ष बनारसी सूट, साड़ी और दुपट्टे लेकर आते हैं। इस महोत्सव के साथ उनका लगाव गहरा है और वे हर साल बड़ी उत्सुकता के साथ इसे मनाने के लिए आते हैं।
इस बार भी उन्होंने ब्रह्मसरोवर के दक्षिणी छोर पर अपने स्टॉल नंबर 399 पर बनारसी साड़ी, सूट और दुपट्टों की रंग-बिरंगी रचनाएँ प्रस्तुत की हैं। उनका यह कार्य पुश्तैनी है, और उनके परिवार के 1,000 से भी अधिक सदस्य इस शिल्पकला में जुड़े हुए हैं, जो मेलों और मेले के बाहर बनारसी वस्त्र तैयार करने का कार्य करते हैं।
उनकी शिल्पकला की विशेषताएं पर्यटकों को आकर्षित करती हैं, और साड़ी की कीमत ₹1200 से ₹5000, सूट की कीमत ₹1500 से ₹4000 और दुपट्टों की कीमत ₹350 से ₹1000 तक रखी गई है। इस महोत्सव में शिल्पकारों को मिले उत्कृष्ट प्रबंधन और सुविधाओं के लिए उन्होंने प्रशासन का आभार भी व्यक्त किया।
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