इस पारंपरिक नृत्य ने अपनी खूबसूरत थाप, लय और ऊर्जा से हर दर्शक को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सांबलपुरी नृत्य की हर एक चाल, हर एक कदम, ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं की गहरी छाप छोड़ती है। यह नृत्य सिर्फ एक कला का प्रदर्शन नहीं, बल्कि जीवन के संघर्ष, उल्लास और शांति का प्रतीक था।
महोत्सव में सांबलपुरी नृत्य ने न केवल हमारी संस्कृति को जीवित रखा, बल्कि दर्शकों को भारतीय कला के प्रति एक गहरी श्रद्धा भी दी। इस अद्वितीय अनुभव ने आत्मिक शांति और सांस्कृतिक गर्व की भावना को और भी मजबूत किया।
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