International Gita Mahotsav

 

INTERNATIONAL GITA MAHOTSAV

Kurukshetra, Haryana (15 November to 5 December 2025)

Akshayavat Tirth, Badthal


अक्षय वट नामक यह तीर्थ करनाल से लगभग 27 कि.मी. दूर बड़थल ग्राम में स्थित है। इस तीर्थ का वर्णन महाभारत, अग्निपुराण, पदमपुराण, वायुपुराण और ब्रह्मपुराण मंे मिलता है। इस तीर्थ पर पितरों के निमित्त दिया हुआ दान अक्षय होता है इसलिए इसे अक्षयवट तीर्थ की संज्ञा दी गई है। वायु पुराण में इस तीर्थ का महत्त्व इस प्रकार वर्णित है।
तथा अक्षयवटं गत्वा विप्रान्संतोषयिष्यति।
ब्रह्माप्रकल्पितान् विप्रान् हव्यकव्यादिनाअर्चयेत्।।
तैस्तुष्टैस्तोषिताः सर्वाः पितृभिः सह देवता।
(वायु पुराण 105/45)
अर्थात् अक्षयवट तीर्थ जाकर जो व्यक्ति ब्राह्मणों को संतुष्ट करता है तथा उनकी अर्चना कर उन्हें हव्य, कव्य प्रदान करता है उसके पितरों सहित सारे देवता संतुष्ट हो जाते हैं।
ब्रह्म पुराण मे इसे पुलस्त्य मुनि की तपस्थली कहा है। यहाँ इस तीर्थ की महिमा इस प्रकार वर्णित की गई है।
तत्रैव कल्पितो यूपो मया विन्ध्यस्य चोत्तरे।
विसृष्टो लोक पूज्योऽसौ विष्णुरासीत्समाश्रयः।।
अक्षयश्चाभवच्छ्रीमान् अक्षयाऽसौ वटाऽभवत्।
नित्यश्च कालरुपोऽसौ स्मरणात्क्रतु पुण्यदः।।
(ब्रह्मपुराण 161/66-67)
इस श्लोक से स्पष्ट है कि अक्षयवट विष्णु का एकमात्र स्थान होने से लोकपूज्य हुआ तथा नाश रहित होने के कारण अक्षय वट के नाम से प्रसिद्ध हुआ। मनुष्य इस तीर्थ का सेवन करने और इसका स्मरण करने से यज्ञ के फल को प्राप्त करते हैं।

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