

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन तट पर जब शास्त्रीय नृत्य की सुंदर मुद्राएँ, रंगों की दिव्यता और श्रद्धा का भाव एक साथ उभरते हैं, तो हर क्षण एक जीवंत चित्र बन जाता है। यहाँ कलाकार केवल नृत्य नहीं करते, वे अपनी हर थिरकन, हर अभिव्यक्ति और हर लय के साथ भारतीय संस्कृति की आत्मा को साकार कर देते हैं। यह दृश्य न केवल मन को मोह लेता है, बल्कि परंपरा और आध्यात्मिकता के अद्भुत संगम का अनुभव भी कराता है।