
डूबते सूरज की लालिमा में आज ब्रह्मसरोवर मानो स्वयं बोल उठा—जहाँ हर साँझ गीता का संदेश मन में शांति का दीप जला जाता है। धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की पवित्रता, उसकी दिव्यता और आत्मा को छू लेने वाली अनुभूति वातावरण में ऐसे घुल जाती है कि हर आगंतुक उस आध्यात्मिक ऊर्जा को महसूस करता है। ढलते सूर्य की सुनहरी किरणें जब शांत जल पर पड़ती हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है मानो ब्रह्मसरोवर एक विशाल दीप की भाँति आलोकित हो उठा हो। यहाँ की साँझ इस सत्य की साक्षी है कि सूर्य भले अस्त हो जाए, पर आस्था की रोशनी कभी नहीं बुझती। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की पावन ऊर्जा हर क्षण को दिव्य और अविस्मरणीय बना देती है।