


अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन मंच पर आज पारंपरिक मुखौटा नृत्य की मनमोहक झलक ने दर्शकों को पूरी तरह मंत्रमुग्ध कर दिया। कलाकार की अनोखी वेशभूषा, सजीव भाव-भंगिमाएँ, ताल की लय और प्रस्तुति की ऊर्जा ने पूरे वातावरण को संस्कृति और आध्यात्मिकता से आलोकित कर दिया। कुरुक्षेत्र की पावन धरती पर संस्कृति का यह अद्भुत उत्सव न केवल देखने योग्य था, बल्कि मन में बस जाने वाला अनुभव भी रहा।