












अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 में हरियाणा पवेलियन ने लोक-संस्कृति की अद्भुत छटा प्रस्तुत की। रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजे कलाकारों ने संगीत, लय और सांस्कृतिक ऊर्जा से मंच को जीवंत कर दिया। सिर पर कलश रखकर किए गए संतुलित नृत्य, त्रिशूल और पीछे फैले हाथों की संरचना ने शक्ति-रूप की दिव्यता को जीवंत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। हर ताल, हर घुमाव और हर मुस्कान भारतीय पारंपरिक कलाओं और हरियाणी लोक विरासत की कहानी बयां करती है। परंपरागत वाद्यों और लोककथाओं के साथ यह प्रस्तुति न केवल ज्ञान और अध्यात्म का संदेश देती है, बल्कि हरियाणा की सांस्कृतिक विविधता, उत्साह और सौंदर्य का अनूठा संगम भी प्रदर्शित करती है। कुरुक्षेत्र की धरती पर आज की इस प्रस्तुति ने कला, संस्कृति और आनंद का जश्न बखूबी रचा।