
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की रौनक तभी पूरी होती है जब ऐसे रंग-बिरंगे स्टॉल और उनमें उमंग के साथ खरीदारी करते लोग दिखाई देते हैं।
गीता महोत्सव केवल आध्यात्मिकता का उत्सव नहीं, बल्कि संस्कृति, हस्तकला और लोकजीवन की झलकियों से भरा एक जीवंत अनुभव है।
यह दृश्य दिखाता है कि किस तरह महोत्सव लोगों को जोड़ता है—दुकानदार की मुस्कान, ग्राहकों की उत्सुकता और हर कपड़े में छुपी कला यह साबित करती है कि गीता महोत्सव सिर्फ देखने का नहीं, बल्कि जीने का उत्सव है।
यहाँ हर खरीदारी एक स्मृति बन जाती है और हर बातचीत एक संस्कार सिखाती है—यही है गीता महोत्सव की सच्ची आत्मा।