किसी ने सच ही कहा है, हौसला हो तो राहें खुद बन जाती हैं,
उम्र तो बस संख्या है, मंज़िलें दिल से मिल जाती हैं।
गीता रन में यह सत्य फिर से जगमगाया,
50 से 70 वर्ष के धावकों ने हौसले का दीप जलाया।
जीत–हार की परवाह किए बिना वे आगे बढ़ते गए,
हर कदम पर जज़्बे और भरोसे के रंग चढ़ते गए।
सिर्फ युवाओं ने ही नहीं, अनुभवी कदमों ने भी कमाल दिखाया,
50 और 60 वर्ष के प्रतिभागियों ने भी मंच पर परचम लहराया।
उनकी जीत ने संदेश दिया—हिम्मत हो तो उम्र कैसी भी हो,
कर्मपथ पर चलने वाले हर हाल में विजेता ही होते हैं।”**“
किसी ने सच ही कहा है—अगर कुछ करने का हौसला हो तो उम्र कभी बाधा नहीं बनती। यही साबित किया गीता रन में भाग लेने वाले उन प्रतिभागियों ने, जिनकी उम्र 50 से 70 वर्ष के बीच थी और जिन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्थान प्राप्त किया।
गीता रन में न केवल युवाओं ने, बल्कि 50 और 60 आयु वर्ग के प्रतिभागियों ने भी पुरस्कार जीतकर सभी को प्रेरित किया।”







